
जालंधर(विनोद मरवाहा)
नगर निगम प्रशासन द्वारा महानगर के कई रिहायशी पार्कों में मोबाइल टावर लगाने को लेकर पब्लिक ने विरोध शुरू कर दिया है। पब्लिक का कहना है कि नगर निगम बिना जांच पड़ताल के आबादी वाले एरिया में मोबाइल टावर लगाने की परमिशन दे देता है।
ऐसे में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा मोबाइल टावर लगाने सबंधी वर्ष 2015 में दिया गया एक निर्णय अपने घर की छत पर मोबाइल टावर्स लगवाने वालों के साथ साथ टावर लगाने वाली मोबाइल कंपनियों के लिए भी एक बड़ी राहत देता नजर आ रहा है।
इस निर्णय सबंधी जानकारी देते हुए महानगर के एक पार्क में टावर लगाने जा रही एक प्रस्तावित कंपनी के प्रतिनिधि ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने वसंत कुंज इलाके के कुछ निवासियों की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि अंतर-मंत्री स्तरीय समिति की सिफारिशों का उल्लंघन करके उनके क्षेत्र में मोबाइल टावर लगाया जा रहा है।
प्रतिनिधि के अनुसार याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ ने वसंत कुंज के पॉकेट-4 के निवासियों को सलाह दी थी किअगर वे अपने इलाके में मोबाइल टावर लगाने के खिलाफ हैं और मोबाइल टावरों से होने वाले हानिकारक विकिरण को लेकर चिंतित हैं तो मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना बंद करें और फिर से लैंडलाइन फोन का रुख कर लें।
इलाके के निवासियों का कहना था कि टावर उनकी कालोनी के भीतर लगाया जा रहा है जो मंत्री स्तरीय समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है। उनका कहना है कि उनकी कालोनी में स्कूल है, जबकि समिति ने कहा था कि यह टावर आवासीय इलाकों अथवा स्कूलों या अस्पतालों के निकट नहीं लगाए जा सकते।
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार ने सिफारिशों पर विचार किया था और रिपोर्ट के कुछ पहलुओं पर अमल करना स्वीकार किया तथा ऐसी स्थिति में रिपोर्ट के कुछ पहलुओं को स्वीकार नहीं करने के लिए सरकार को गलत नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि यह नीतिगत निर्णय है।
प्रतिनिधि ने बताया कि समिति की सिफारिशों के अनुसार टावर के लिए रखा गया जेनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे कि शोर न हो और साथ ही अगर खुले पार्क के स्थान पर यदि किसी घर की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए। प्रतिनिधि की मानें तो उद्योग संगठन सेल्यूलर आपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने भी कहा है कि मोबाइल टावरों से निर्धारित मानदंड के तहत निम्न स्तर का विकिरण उत्सर्जित होता है और यह पूरी तरह सुरक्षित है।
प्रतिनिधि ने बताया कि मोबाइल नेटवर्क की समस्या से हर कोई परेशान है। सिग्नल ना मिलने पर कभी नेट नहीं चलता तो कभी-कभी जरुरी समय पर कॉलिंग के लिए भी नेटवर्क उपलब्ध नहीं हो पाता है। उनके अनुसार भारत में कॉल ड्रॉप (मोबाइल फ़ोन का बार बार कट जाना) होने की एक बड़ी वजह मोबाइल टावर की कमी है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया के नियमों के मुताबकि किसी सर्किल में मोबाइल टावरों में कॉल ड्रॉप का प्रतिशत तीन से ज्यादा नहीं होना चाहिए। उन्होंने बताया कि भारत में औसतन 400 उपभोकताओं के लिए एक मोबाइल टॉवर उपलब्ध है जबकि अगर चीन की बात करें तो वहां औसतन 200 से 300 लोगों के लिए मोबाइल टावर उपलब्ध है। इस हिसाब से भारत में हर साल करीब 1 लाख मोबाइल टावर लगाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल हर साल बड़ी तेजी से बढ़ रहा है, और प्रधानमंत्री मोदी जी के डिजिटल इंडिया के शानदार सपने को साकार करने के लिए मोबाइल टॉवर्स में वृद्धि करनी होगी।
टावर लगाने वाली कंपनी के प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि आज जबकि दुनिया भर के कई विकासशील देशों में 5 जी सेवा की सुविधा दी जा रही है वहीँ अभी भी अपने देश में 4 जी सेवा को बेहतर बनाने के सरकार के प्रयास को कुछ मुट्ठी भर लोग तारपीडो कर रहे हैं जो की बहुत ही शर्म की बात है।












































