हलचल पंजाब के डायरेक्टर सोनू त्रेहन की कलम से
दाखिले के इस दौर में निजी स्कूल जमकर चांदी काट रहे हैं। स्कूल फीस तो बढ़ाई ही जा रही है, साथ ही ड्रेस और अन्य सामग्रियों के नाम पर अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है। पढ़ाई के नाम पर कमाई की दुकान का दूसरा नाम बन चुके प्राइवेट स्कूलों को न तो बच्चों की पढ़ाई की चिंता है न उन की सुरक्षा की, उन्हें चिंता है तो बस अपने हित साधने की।
शिक्षा के नाम पर किताब कापियांं, बस किराया, वरदी, जूते आदि से ले कर बिल्डिंग फंड के नाम पर भी अभिभावकों से लाखों वसूले जाते हैं। अगर कोई अभिभावक आवाज उठा भी ले तो उसे अन्य स्कूल में दाखिले की नसीहत दी जाती है। सरकारी स्कूलों की लचर व्यवस्था से तंग आकर लोग अपने बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए प्राइवेट स्कूलों का रुख कर रहे हैं, लेकिन यहां उनके खून पसीने की कमाई पर डाका डाला जा रहा है।
आप को बता दें कि इन सब के लिए कहीं न कहीं अभिभावक भी जिम्मेदार हैं क्योंकि वे फुली स्मार्ट क्लासेज, स्कूल की शानदार बिल्डिंग को देख कर अपने बच्चों का ऐडमिशन ऐसे स्कूलों में करवा देते हैं। ऐसा वे अपने स्टेटस के लिए करते हैं। भले ही उस स्कूल की फैकल्टी अच्छी हो या न हो। अगर अभिभावक इस चकाचौंध से बाहर निकलें तो निजी स्कूलों की मनमानी बहुत जल्द रुक जाएगी और पेरैंट्स खुद को लुटने से बचा पाएंगे।

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