निर्भया से दरिंदगी करने वाले चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने मौत की सजा से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। विनय ने बृहस्पतिवार को वकील के जरिये क्यूरेटिव पिटीशन दायर की है। डेथ वारंट जारी होने के बाद सजायाफ्ता के लिए यह अंतिम कानूनी विकल्प होता है। मंगलवार को दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में मुकेश, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह के खिलाफ डेथ वारंट जारी किया था।विनय ने याचिका में कहा कि कोर्ट ने उसके नाबालिग होने को गलत तरह से खारिज किया। साथ ही फैसला देते समय उसकी सामाजिक-आर्थिक परिस्थिति, बीमार माता-पिता सहित परिवार में निर्भर लोगों की संख्या, जेल में अच्छे व्यवहार और सुधार की संभावना पर ध्यान नहीं दिया गया। इससे न्याय का उल्लंघन होता है। याचिका में कहा गया है कि कोर्ट ने अपने फैसले में ‘समाज की सामूहिक चेतना’ और ‘सार्वजनिक राय’ जैसी बातों को तथ्य के तौर देखकर उसे और अन्य लोगों को मौत की सजा दी। इससे पहले कोर्ट ऐसे ही मामलों में मौत की सजा को उम्रकैद में बदल चुका है।
क्यूरेटिव पिटीशन अंतिम कानून विकल्प
क्यूरेटिव याचिका तब दायर की जाती है जब सुप्रीम कोर्ट ने पुनर्विचार याचिका और राष्ट्रपति ने दया याचिका खारिज कर दी हो। ऐसे में क्यूरेटिव पिटीशन दोषी के पास आखिरी कानूनी विकल्प होता है, जिसके जरिए वह सजा में नरमी की गुहार लगा सकता है। इसका निपटारा होने के बाद दोषियों के पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का सांविधानिक विकल्प ही बचता है।

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