भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के कारोबार ने एक दिलचस्प मोड़ ले लिया है. कोलकाता के एक वकील कनिष्क सिन्हा, जिनके पास 20 सालों से पूरे भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए एक पेटेंट है, यह दावा कर रहे हैं, कि भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को केवल वो ही रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं. उनके दावे के अनुसार, किसी भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पास अपने प्रांत में किसी भी बैटरी से चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन को सीधे रजिस्टर करने का अधिकार नहीं है. किसी भी ईवी ग्राहक को अपने वाहन को रजिस्टर कराने के लिए अमित इंजीनियरिंग का उपयोग करना होगा जिसके साथ उनका करार है.
शीर्ष अदालत के आदेश में यह भी कहा गया है कि किसी भी अन्य पार्टी द्वारा ईवी रजिस्ट्रेशन, चाहे वह राज्य या केंद्र शासित प्रदेश हो, को पेटेंट का और सर्वोच्च न्यायालय का आदेश का उल्लंघन माना जाएगा. सिन्हा के दावों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार द्वारा ईवी के रजिस्ट्रेशन पर भी रोक लग दी है. अदालत ने 24 फरवरी, 2020 को भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए कहा था और इसे सर्वोच्च न्यायालय ने 12 जनवरी, 2021 को बरकरार रखा था. दिल्ली सरकार ने कहा है कि वह ई-रिक्शा के रजिस्ट्रेशन को रोक देगी जबकि जम्मू और कश्मीर सरकार पहले ही इसे रोक चुकी है. अन्य राज्यों को आदेश का पालन करना बाकी है.

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