जालंधर(केवल कृष्ण)
मॉनसून सुहाने मौसम के साथ-साथ हमेशा से ही अपने साथ कई बीमारियां भी लेकर आता है। उनमें से एक है चर्म रोग यानि स्किन प्रॉब्लम। एक चर्म रोग विशेषज्ञ (Skin Specialist) का कहना है कि इस मौसम में त्वचा संबंधी रोग के साथ-साथ वायरल बुखार और टाइफाइड जैसी बीमारियां भी आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं। मॉनसून के मौसम में आप भले ही घर से बाहर न निकलते हों, लेकिन आपको चर्म रोग या त्वचा में फंगस होने तथा वायरल होने का खतरा रहता है।
चिकित्स्कों का मानना है कि बारिश में सबसे ज्यादा खतरा चर्म रोग होने का होता है। इस मौसम में बारिश की वजह से किसी व्यक्ति के शरीर में खुजली हो सकती है और फिर बारीक-बारीक दाने आदि निकल सकते हैं और जिससे फंगस संक्रमण हो जाता है। ऐसे में व्यक्ति खुद से इलाज नहीं करे और तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाए।
उनके अनुसार अगर आप छाता लेकर बारिश से खुद को बचा रहे हैं लेकिन सड़क पर मिट्टी और कचरे से भरे पानी में पैदल चलते हैं तो इससे फंगस या त्वचा के संक्रमण होने की आशंका दोगुनी हो जाती है।कीचड़ या गंदे पानी के संपर्क में आने वाले पैरों की त्वचा और नाखून फंगस संक्रमण और एलर्जी के शिकार हो सकते है। बारिश के पानी में सीवरेज का पानी भी मिल जाता है और इससे लीवर और किडनी को प्रभावित करने वाली लैप्टोस्टिरियोसिस जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह जानलेवा हो सकती है।
इसके अलावा मच्छरों से होने वाले मलेरिया, डेंगू और दिमागी बुखार जैसे रोग होने की आशंका भी रहती है। तापमान में नमी आने से अस्थमा से पीड़ित लोगों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए इस मौसम में फलों खासतौर पर, सेब, नाशपाति, अन्नानास और सूखे मेवों का इस्तेमाल करना चाहिए। रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के लिए एक व्यक्ति को रोजाना पांच बादाम, एक अखरोट, सात दाने किशमिश और दो-तीन खजूर का सेवन करना चाहिए। संक्रमण से बचने के लिए लोगों को पानी उबाल कर पीना चाहिए और तली हुई चीजों से बचना चाहिए।

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