जालंधर/विशाल कोहली
जालंधर लोकसभा सीट पर सभी दलों की इस लोकसभा सीट पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है।लेकिन इन सबके बावजूद मतदान प्रतिशत में बड़ी कमी देखी गई है। साल 2019 के मुकाबले इस बार 9 प्रतिशत मतदान कम हुआ। सिर्फ 54 फीसदी मतदान उपचुनाव के लिए हो पाया है। ऐसे में मतदान प्रतिशत घट जाने से जीत का समीकरण और जटिल बन गया है। घटे हुए मतदान प्रतिशत का नुकसान किस पार्टी को ज्यादा होगा अभी यह कहना मुश्किल है।
मतदान प्रतिशत घटने की ये हो सकती है वजह
• पोलिंग बूथों पर सुबह और शाम को ही लोगों की भीड़ दिखाई दी। दोपहर में गर्मी की वजह से लोग वोट डालने तक नहीं गए।
• सरकारी कार्यालयों की छुट्टी होने के बावजूद सरकारी कर्मचारी वोट डालने नहीं पहुंचे, जबकि उनकी जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए।
• किसी भी राजनीतिक पार्टी ने लोगों को कोई नया मुद्दा नहीं दिया, सिटी के पुराने प्रोजेक्ट भी अभी पूरे नहीं हो पाए है।
• सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपनी जनसभाओं में कहा कि उपचुनाव से उनकी सरकार नहीं बनने वाली लेकिन उनकी पार्टी को इससे मजबूती जरूर मिलेगी।
• मतदान के दिन व्यापारिक प्रतिष्ठानों का खुला रहना भी कम वोट का एक कारण बना।
कांग्रेस ने किया जीत का दावा
कम वोटिंग प्रतिशत में भी कांग्रेस का मानना है कि उनका वोट बैंक फिर भी सुरक्षित रहा है। इस उपचुनाव में उनकी जीत होने वाली है। वहीं अकाली दल का मानना है कि शहरों में जो कम वोटिंग हुई है उसका नुकसान कांग्रेस, आप और बीजेपी को होने वाला है। इसके अलावा कम वोटिंग प्रतिशत को आम आदमी पार्टी अन्य पार्टियों के लिए नुकसान मान रही है। कम वोटिंग प्रतिशत की वजह से सभी पार्टियों के अलग-अलग समीकरण बन रहे है। सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है।

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