जालंधर(विनोद मरवाहा)
जालंधर केंद्रीय विधान सभा क्षेत्र में अपना राजनैतिक वजूद तलाश रही आम आदमी पार्टी को जमीनी नेता ढूढ़े से नहीं मिल रहे। 2022 के विधानसभा चुनाव में पंजाब की लगभग सभी विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़े जाने का फैसला अरविन्द केजरीवाल की पार्टी आप ने किया है। लगातार पंजाब दौरे पर आप नेता आकर यहाँ की राजनैतिक जमीन को अपने राजनैतिक विरोधियों सहित मौजूदा कांग्रेस सरकार के खिलाफ खड़ा करने कीअसफल कोशिशों में जुट गए हैं। दिल्ली की अपनी सरकार का मॉडल पंजाब में लागू करने के लिए आप लगातार कोशिश तो कर रही है लेकिन पंजाब की जनता का हमेशा से ही बीजेपी, अकाली दल व कांग्रेस सहित इन तीनों राजनैतिक दलों के आलावा किसी पर भी भरोसा कायम नहीं हुआ है।
अगर हम बात जालंधर केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहाँ का राजनैतिक समीकरण बताता है यहाँ पर विकास के नाम पर विधानसभा में काम करने वालो को जनता वोट देती आई है। 2022 का विधानसभा चुनाव पूरे पंजाब के साथ साथ इस क्षेत्र में भी विकास के मुद्दे पर लड़ा जाना है। ऐसे में आप किसका समीकरण बिगड़ेगी ये तो अभी भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है लेकिन एक बात तो पक्की है कि
इस विधान सभा हल्का में आप के पास राजनैतिक चेहरों का टोटा जरूर पड़ेगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी उस मोहरे पर पर अपना दावं लगाकर चुनाव में जीत का सपना सजो रही है जो हाशिये पर हैं और गत चुनावों में कांग्रेस के हाथों ४०.००० से अधिक मतों से शर्मनाक हार को मुँह देख चुके हैं।
जालंधर की सियासत में हाशिये पर पहुंच चुके ऐसे आधारहीन नेता पर भरोसा करके आम आदमी पार्टी चुनाव नहीं जीत सकती क्योकि जमीनी वजूद वाले नेताओं को इस पार्टी पर पहले ही जालंधर की सियासत में जीत की गारंटी नहीं है। बहरहाल अब ऐसे नेता जिनका राजनैतिक वजूद गफूर हो चुका है तो उनके सहारे जालंधर केंद्रीय हल्का की सियासत में राजनैतिक जमीन को तैयार करना सबसे बड़ी भूल के रूप में नज़र आ सकता है।

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