जालंधर(योगेश कत्याल)
कोरोना से बचाव के लिए अबतक न तो कोई वैक्सीन बनी है, न ही इलाज के लिए कोई कारगार दवा। सिर्फ प्रतिरोधक क्षमता के दम पर ही वायरस से जंग जीती जा सकती है। यही वजह कि लॉकडाउन के दौरान लोगों ने न सिर्फ योग-व्यायाम का सहारा लिया बल्कि प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों व दवाओं की मदद ली। इसका असर आयुर्वेद से जुड़े उत्पादों का साफ देखा गया। इनकी बिक्री बढ़ कर दो-तीन गुना हो गई। वैसे तो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली तकरीबन सभी आयुर्वेदिक उत्पादों की मांग बढ़ी है लेकिन गिलोय की बिक्री सर्वाधिक है। उधर गर्मी होने के बावजूद बाजार में च्यवनप्राश की कमी हो गई है।
थोक दवाओं के एक विक्रेता ने बताया कि आमतौर पर लोग च्यवनप्राश का इस्तेमाल जाड़े में करते हैं, लेकिन इस बार गर्मी में लोगों ने इस जमकर खरीदा। यहां तक कि इस पर लॉकडाउन के दौरान जितना च्यवनप्राश उतनी बिक्री इस बार जाड़े में भी नहीं हुई। इसके अलावा रस व पाउडर दोनों रूप में आंवला, गिलोय, तुलसी, एलोविरा, अश्वगंधा, मुलेठी आदि की खपत बढ़ी है। उनके अनुसार लॉकलाउन के दौरान रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं व उत्पादों की बिक्री में भारी उछाल आया है। लोग आंवला, गिलोय, तुलसी, एलोविरा, अश्वगंधा, मुलेठी की खपत बढ़ी है। लेकिन इनमें से गिलोय की पूछ सबसे ज्यादा रही। ज्यादातर ठंड के मौसम में बिकने वाले च्यवनप्राश का हाल तो यह है कि यह गर्मी के मौसम में भी इतना अधिक बिका कि बाजार में इसकी कमी हो गयी है।

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