जालंधर/विनोद मरवाहा
पंजाब में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। 10 फरवरी से विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। भारतीय निर्वाचन आयोग के चुनाव तारीखों की घोषणा करते ही पंजाब में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इस दौरान सरकारी मशीनरी चुनाव आयोग के नियंत्रण में रहेगी। मतदान और मतगणना के बाद नतीजों की आधिकारिक घोषणा के साथ ही आचार संहिता हट जाती है। आइए जान लेते हैं कि आदर्श चुनाव आचार संहिता क्‍या है और इसके क्‍या नियम-कायदे हैं।
आदर्श आचार संहिता क्यों लागू होती है?
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है। चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहा जाता है। चुनावों के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है।
क्‍या हैं आचार संहिता के मुख्‍य नियम?
चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं। इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या नेता नहीं कर सकता। इसके तहत सरकारी धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा। इसमें सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल भी चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जाता है। इसके अतिरिक्त सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास आदि पर भी रोक लग जाती है। कोइ भी नेता इसके तहत किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर वोट नहीं मांग सकता।
आचार संहिता कब तक लागू रहेगी?
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है। चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है।
आदर्श आचार संहिता की मुख्‍य विशेषताओं में यह है शामिल
आदर्श आचार संहिता की मुख्‍य विशेषताओं में राजनीतिक दलों, निर्वाचन लड़ने वाले लोगों और सत्ताधारी दलों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्‍यवहार करना चाहिए अर्थात् निर्वाचन प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्‍यादि के दौरान उनका सामान्‍य आचरण कैसा होगा, यह सब शामिल होता है।
क्‍या सरकारी वाहन को प्रचार कार्यों में प्रयोग किया जा सकता है?
इसके तहत विमान, वाहनों आदि सहित कोई भी सरकारी वाहन किसी दल या नेता के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जाता है।

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