जालंधर(योगेश कत्याल)
जब किसी को भगवान श्रीकृष्ण के चरणों की कृपा प्राप्त हो जाती है तो संसार में किसी की हिम्मत नहीं है कि उसका कोई कुछ बिगाड़ सके क्योंकि भगवान अपने भक्तों से बहुत प्यार करते हैं।
उक्त विचार ग्रीन एवेन्यू कॉलोनी, बस्ती पीरदाद, श्रीगौरी शंकर मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन की कथा में स्वामी देवकीनंदन दास जी ने व्यक्त किए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की वृंदावन की मधुर लीलाओं को सुनाते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण जैसा न तो कोई सुंदर है और न ही दयालु, जिन्होंने पूतना जैसी राक्षसी को भी जो दूध पिलाने के बहाने जहर देकर के मारने आई उसको भी मां जैसी गति प्रदान की। गोकुल में हुई मिट्टी खाने की लीला में भगवान ने अपनी मैया यशोदा को दिखा दिया मुंह खोल करके, कि मेरे अंदर ही सब कुछ बसता है पूरे ब्रह्मांड का दर्शन करवा दिया। ओखली से बांधने के समय भी भगवान ने दिखाया कि न तो मुझे कोई अपनी हिम्मत से पकड़ सकता है और न ही मुझे बांध सकता है, मैं तो केवल भक्ति के वश में हूं। इसलिए भक्त लोग अपनी भक्ति द्वारा मुझे अपने वश में कर लेते हैं और मैं हर समय

उनकी रक्षा में लगा रहता हूं।ऐसे सुंदर रहस्यों को सुनाकर के स्वामी जी ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
कथा के दौरान जालंधर के मेयर जगदीश राज राजा एवं जालंधर के सीनियर रिपोर्ट योगेश कत्याल एवं बिल्ला वर्मा का स्वागत पंडित राज कुमार तिवारी एवं मंदिर के सदस्यों ने किया।

इस अवसर पर पंडित राजकुमार तिवारी, पंडित मनोज़ कुमार (शास्त्री), पंडित ध्रूव नारायण, आचार्य राजू, पंडित शयाम, विजय शर्मा, केवल शर्मा, मुकेश सहदेव, संजीव ठाकुर, नीना ठाकुर, राजेश अगिहिहोत्री, डॉ दविंदर शर्मा, शशि शर्मा, रवि शर्मा, चंद्र गुप्ता, मोनिका गुप्ता, सुषमा शर्मा, केवल शर्मा, चेतन भल्ला, ममता गुजराल, पूजा भल्ला, सुषमा शर्मा, विपन कुंद्रा, तेज प्रकाश, राजेश कुमार, प्रॉमिला, मुनीश ठाकुर, वीरकांता गुप्ता, सौरव सेठ, मुनीश अरोड़ा, पूर्व पार्षद क्रीपाल सिंह बूटी, तेज कुमार दुबे, सतपाल, कुलविंदर, रमेश शर्मा, ललित शर्मा, अञ्जलि धीर, शीनू, दीपक, प्रीतपाल सिंह, मिंटू, हरि ओम, कुंदन पूरी, शिव कुमार, रवि कांत शर्मा, चन्दर मोहन चोपड़ा, नीलू ठाकुर, डॉ जतिंदर शर्मा, कनिका शर्मा, शक्ति शर्मा, अनिल नागपाल, राहुल कुमार, ओम प्रकाश दुबे, राकेश दुबे, पवन, सागर सुनीता, सतपाल, विवेक बब्बी, विनय शर्मा, सागर, आदि मौजूद थे।

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