जालंधर(विशाल कोहली)
चुनाव आचार संहिता (आदर्श आचार संहिता/आचार संहिता) का मतलब है चुनाव आयोग के वे निर्देश जिनका पालन चुनाव खत्म होने तक हर पार्टी और उसके उम्मीदवार को करना होता है। अगर कोई उम्मीदवार इन नियमों का पालन नहीं करता तो चुनाव आयोग उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई कर सकता है, उसे चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, उम्मीदवार के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हो सकती है और दोषी पाए जाने पर उसे जेल भी जाना पड़ सकता है।
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है। इस बार भी यह शुक्रवार से लागू हो चुकी है और 24 अक्टूबर को मतगणना तक लागू रहेगी। इसके तहत तमाम नियम लागू हो जाते हैं, जिनकी अवहेलना कोई भी दल, नेता या अधिकारी नहीं कर सकता है। इनके उल्लंघन पर सजा और दंडात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी तरह की सरकारी घोषणा नहीं की जा सकती है। किसी प्रॉजेक्ट का लोकार्पण व शिलान्यास भी नहीं हो सकता है। चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी या बंगले का इस्तेमाल नहीं हो सकता है। रैली, जनसभा व चुनाव प्रचार के दौरान कहीं भी धर्म के नाम पर वोट नहीं मांगे जा सकते। मतदाता को शराब व पैसे बांटना भी आचार संहिता का उल्लंघन है। सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे काम में नहीं हो सकता है, जिससे किसी विशेष राजनीतिक दल या राजनेता को फायदा हो।