जालंधर(योगेश कत्याल)
प्रार्थना एक ऐसी संस्तुति है जो अपने इष्ट के प्रति बिना किसी देरी के, बिना किसी के सहारे तत्क्षण परमात्मा के पास पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि संसार की किसी वस्तु को एक स्थान में दूसरे स्थान पर भेजने के लिए पोस्टमैन की आवश्यकता पड़ती है लेकिन हृदय से समर्पित की गई प्रार्थना एक ऐसी अभिव्यक्ति है जो बिना किसी पोस्टमैन के भी गंतव्य स्थान तक पहुंच जाती है।
यह बात श्री बांके बिहारी भागवत प्रचार समिति की तरफ से सांईदास स्कूल की ग्राउंड में करवाई जा रही श्रीमद् भागवत सप्ताह कथा के तीसरे दिन की कथा का विस्तार से व्याख्यान करते हुए आचार्य श्री गौरव कृष्ण गोस्वामी जी ने कही।
कार्यक्रम में आचार्य गौरव कृष्ण जी ने कहा कि देवहूति जी ने पति कर्दम के वन की ओर चले जाने पर पुत्र कपिल के पास आई और प्रार्थना करते हुए बोली कि हे प्रभु हमें संसार के बंधन से मुक्त होने का मार्ग प्रदान करें। परम भक्त ध्रुव जी के चरित्र पर व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि मात्र पांच वर्ष की अवस्था में ध्रुव को दर्शन देकर अखण्ड राज्य प्रदान करते हुए उनके लिए ध्रुव लोक का निर्माण कर दिया। आचार्य जी ने कहा कि प्रभु का दर्शन के लिए व्यक्ति को सत्संग सेवा सुमरिन में हमेशा लीन रहना चाहिए और अपने को सही मायनों में मानव बनने का प्रयत्न करना चाहिए। उन्होंने कहा तुम यदि इस में सफल हो गए तो तुम्हें हर कार्य में सफलता निश्चित रूप से प्राप्त होगी। उन्होंने कहा कि कुसंगति के अपेक्षा अकेले रहना सबसे उत्तम कार्य है। संस्था ने सभी अतिथियों को सम्मानित किया।
इस मौके पर स. ए. एस.पवार सहित संस्था के प्रधान सुनील नैय्यर, बृजेश कुमार जुनेजा, उमेश ओरी, संजय सहगल, संदीप मलिक, बृजमोहन चड्ढा, चंदन वडेरा, रिंकू मल्होत्र, भूपेंद्र बिल्ला, राहुल बाहरी, नरेंद्र वर्मा, सुमित गोयल, बल¨वदर शर्मा, अश्विनी कुमार आशू, विकास ग्रोवर, हेमंत थापर, योगेश कत्याल, हितेन्द्र तलवार, दविंदर अरोड़ा, राजकुमार शर्मा, मनीष गुप्ता, संदीप रहेजा लक्की, रमेश सहगल, गोपी वर्मा, राजवंश मल्होत्र, अरुण, तरुण सरीन, दविंदर, विनोद, केवल अग्रवाल, परीक्षित बडेरा, रमेश कतयाल, किरण कटारिया, नीलम मल्होत्रा, अंजू शर्मा, खुशी कत्याल व अन्य मौजूद थे।