जालंधर/विनोद मरवाहा
जालंधर नगर निगम के चुनाव में देरी हाेने के पूरे आसार है। वार्डबंदी का ड्राफ्ट अभी पूरा नहीं हुआ है और आपत्तियां दूर करने का काम भी सुस्त रफ्तार से चल रहा है। पंजाब में आप सरकार को बने बेशक करीब 18 महीने ही हुए हैं लेकिन लोगों में नाराजगी नजर आने लगी है।
भाजपा नेताओं को लगता है कि आम आदमी पार्टी देरी का हथकंडा इसलिए अपनाना चाहती है ताकि माहौल में दिखाई दे रही उसके प्रति मतदाताओं में नाराज़गी वक्त बीतने के साथ कम हो जाए,जबकि ऐसा नहीं न होगा। लोकसभा उपचुनाव में वोट शेयर बढ़ने से उत्साहित भाजपा नेताओं का कहना है कि अबकी बार नगर निगम चुनाव के बाद जालंधर में मेयर भाजपा का ही बनाएंगे। उनके अनुसार चुनाव में देरी का भाजपा को ही लाभ मिलेगा। प्रदेश में सत्ता विरोधी लहर का लाभ लेकर और महंगाई, लॉ एंड आर्डर तथा बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर भाजपा नगर निगम में काबिज होने चाहती है। साथ ही मोदी सरकार के 9 साल बेमिसाल के कार्यक्रमों से भी भाजपा को लाभ भी मिलने की उम्मीद है।
बता दें कि चुनाव कार्यक्रम का ऐलान मतदान से कम से कम 30-40 दिन पहले करना होता है, ताकि सरकारी तंत्र इसके लिए खुद को तैयार कर सकें और उम्मीदवारों को प्रचार के लिए पर्याप्त समय मिल सके। मौजूदा नगर निगम हाउस का कार्यकाल 25 जनवरी 2023 को समाप्त हो गया है। पंजाब सरकार ने कार्यकाल समाप्त होने के बाद निर्वाचित पार्षदों के अधिकार भी समाप्त कर दिए है। वर्तमान समय में जनता से जुड़े सभी कार्य अधिकारियों के जिम्मे सौंप दिए जाने से आम लोगों को परेशानी हो रही है।