जालंधर/विशाल कोहली
नगर निगम के जिन अधिकारियों पर शहर को एक व्यवस्थित तरीके से विकसित करने की जिम्मेदारी थी वही भ्रष्टाचार का दामन थामकर जहां शहर की सुंदरता को नष्ट कर रहे हैं और सरकारी खजाने को चूना लगा कर अपनी जेबें भी भर रहे हैं। यही कारण है कि शहर में अवैध निर्माणों व अवैध कॉलोनियों की संख्या में लगातार बढ़ौतरी हो रही है। अब नगर निगम में नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) के उजागर हुए फर्जीवाड़े ने नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार की सारी हदें तोड़ दी हैं। सरकारी नियमों के अनुसार अवैध कॉलोनी के प्लाटों को एनओसी नहीं मिल सकती और न ही ऐसी कालोनियों के नक्शे पास किए जा सकते हैं ।
नगर निगम के हेड ड्राफ्ट्स मैन सुखदेव वशिष्ठ द्वारा एटीपी का चार्ज सँभालने के बाद गांव बडिंग में बन रही तीन कोठियों पर की गई कार्रवाई के विरोध में जब पीड़ित पक्ष ने नगर निगम कमिश्नर से की गई शिकायत की जांच के बाद सामने आया है कि उक्त कोठियों का नक्शा फर्जी (एनओसी) लगा कर पास करवाया गया है। अधिकारियों द्वारा अब जांच की बात की जा रही है। कहा जा रहा है कि मामले में पूरी जांच सिद्वध होने पर पुलिस को भी मामले की जानकारी दी जा सकती है।
अब सवाल यह पैदा होता है कि एनओसी किस स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है और इसे किसने जारी किया था। एनओसी की जांच पहले क्यों नहीं की गई? माना जा रहा है कि निगम के कुछ अधिकारी और अन्य लोगों की मिलीभगत से ऐसा संभव हो पाया है।
पंजाब सरकार आने वाले दिनों में इस घोटाले के जिम्मेदार नगर निगम अधिकारियों पर कानूनी व विभागीय कार्रवाई कर सकती है।