जालंधर/विनोद मरवाहा
आगामी नगर निगम चुनाव को लेकर वार्ड बंदी का नक्शा जारी होते ही जालंधर महानगर में सभी पार्टियां अपने नए इम्तिहान के लिए निकल पड़ी है। नगर निगम के चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। नगर निकाय सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है। चूंकिआम आदमी पार्टी प्रदेश में है उसके लिए नगर निकाय के चुनाव कुछ ज्यादा ही महत्वपूर्ण है। दूसरी तरफ भाजपा, कांग्रेस, अकाली दल- बहुजन समाज पार्टी गठबंधन पहले ही विधानसभा चुनाव में मुंह की खा चुके हैं, इसलिए नगर निगम पर दोनों ही पार्टियां अपना-अपना कब्जा भी चाहती हैं।
बहरहाल, निकाय चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाकर तैयारियों में जुटी आम आदमी पार्टी आने वाले दिनों में चेहरों की तलाश शुरू कर देगी। इसी के साथ अब तक अलग-अलग कार्यक्रमों से बने माहौल और तैयारियों के फीडबैक का जमीनी सच समझने के काम में भी लोगों को जुटाएगी। इसके लिए कार्य योजना का खाका खींचा जा चुका है, जिस पर जल्द अमल शुरू हो जाएगा। आम आदमी पार्टी की कोशिश है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रत्याशियों के चयन का काम निर्णायक स्वरूप लेना शुरू कर दे, जिससे उम्मीदवारों को प्रचार का पूरा मौका मिले।

जालंधर उपचुनाव की जीत से बदले समीकरणों के चलते कई ऐसे वार्डों में चेहरे बदले जा सकते हैं, जहाँ उपचुनाव के दौरान कांग्रेस व भाजपा नेताओं ने आप का झाड़ू थमा था । इस का असर जालंधर वेस्ट व केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र में अधिक देखने को मिलेगा। केंद्रीय विधानसभा क्षेत्र के जिन वार्डों में आम आदमी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा था, वहां बदलाव की आशंका अधिक जताई जा रही है।
कहा जा रहा है कि पार्टी के सत्ता में होने के नाते निकाय चुनाव के नतीजे लोकसभा चुनाव की तैयारियों का आधार बनेंगे। साथ ही माहौल बनाने में मदद करेंगे।

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