जालंधर(विशाल कोहली)
कोरोना की तीसरी लहर तीन माह बाद आने की संभावना जताई जा रही है। पिछली दो लहर में सर्वाधिक प्रभावित मधुमेह पीडि़त हुए हैं। इसलिए मधुमेह पीडि़त लोगों को खतरा ज्यादा है। समय रहते सतर्क होने की जरूरत है। यदि मधुमेह अनियंत्रित है तो उसे नियंत्रित करने में जुट जाएं। कोरोना वायरस की पहली लहर में बुजुर्ग सर्वाधिक प्रभावित हुए थे। सबसे ज्यादा संक्रमित अनियंत्रित मधुमेह वाले हुए थे। कोरोना के गंभीर संक्रमित को जब स्टेरॉयड थेरेपी दी गई तो उनमें भी मधुमेह उभर कर सामने आई।
आंकड़े बताते हैं कि देश में भी मधुमेह पीडि़तों की संख्या 7.70 करोड़ है, जबकि 13 करोड़ मधुमेह की दहलीज (प्री डायबिटिक स्टेज) पर हैं। इन आंकड़ों के हिसाब से देश का हर छठा व्यक्ति मधुमेह पीडि़त या मधुमेह की संभावना से घिरा है। इसलिए कोरोना की दूसरी लहर में यह वर्ग सर्वाधिक प्रभावित हुआ है, क्योंकि इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी सिस्टम) कमजोर है।
इनके लिए घातक
अगर हार्ट, लिवर, किडनी, सीओपीडी, अस्थमा और निमोनिया की बीमारी के साथ मधुमेह भी है तो कोरोना संक्रमण घातक हो सकता है। ऐसे लोगों को सतर्कता बरतनी चाहिए।
ऐसे नियंत्रित करें मधुमेह
आप के माता-पिता या परिवार में किसी को मधुमेह है, तो उनकी जांच कराएं। खाली पेट सैंपल देने के बाद 75 ग्राम ग्लूकोज पीने के दो घंटे बाद फिर से खून जांच के लिए दें। मधुमेह के तीन माह का स्तर पता करने के लिए एचबीए1सी जांच एचपीएलसी मैथड से कराएं। ब्लड शुगर बढ़ा होने पर वजन नियंत्रित करें और नियमित व्यायाम करें।
अगर मधुमेह बढ़ी है तो लिपिड प्रोफाइल की जांच कराएं। अगर कोलेस्ट्राल बढ़ा है तो उसे भी कंट्रोल करना जरूरी है। अपने को सुरक्षित रखने के लिए वैक्सीन जरूर लगवाएं। मधुमेह कंट्रोल करने के साथ प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाएं।

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