जालंधर/विनोद मरवाहा
आपने एक कहावत तो जरूर सुनी होगी, वो है “गई भैंस पानी में”, जालंधर नगर निगम चुनाव को लेकर ये कहावत सही साबित होती दिखाई दी है। मामला बेहद ही दिलचस्प है और चर्चाओं का विषय बना हुआ है।
जानिए आखिर क्यों गई भैंस पानी में…
गई भैंस पानी में..का ये मामला जालंधर नगर निगम चुनाव से जुड़ा हुआ है। नगर निगम चुनाव में उतरने की तैयारी कर रहे सभी दलों के लोग अपने -अपने वार्डों में पिछले कई महीनों से चुनावी अभियान में जुटे हुए थे लेकिन जालंधर कांग्रेस के जिला प्रधान व पूर्व विधायक राजिंदर बेरी ने वार्डबंदी को लेकर हाई कोर्ट का रुख क्या किया, सभी के चेहरे मुरझाए से नजर आने लगे हैं।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने जालंधरनगर निगम में वार्डबंदी प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया है। ऐसे में माननीय हाईकोर्ट जल्द ही पंजाब सरकार, स्थानीय निकाय विभाग के सचिव और जलंधर के डी.सी, डीलिमिटेशन बोर्ड के सदस्य लोकसभा जालंधर के इंचार्ज मंगल सिंह व दुसरे सदस्य विधायक शीतल अंगुराल को नोटिस जारी कर जवाब मांग सकती है । वार्डबंदी के खिलाफ दायर याचिका में कांग्रेस ने नए सिरे से की जा रही वार्डबंदी को सरकार द्वारा राजनैतिक लाभ के लिए बताया है। यह भी कहा गया है कि बोर्ड में दोनों सदस्य राज्य की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के सदस्य हैं। बोर्ड में राज्य के अन्य किसी भी राजनीतिक दल को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है। बोर्ड में जिन सदस्यों को शामिल किया गया है वह आने वाले चुनाव में भी शामिल होंगे। तय है कि अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए बोर्ड के सदस्य बनाये गए हैं।

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