जालंधर(विशाल कोहली)
‘सिर मुंडाते ही ओले पड़े’ यह कहावत आप सबने सुनी होगी और जीवन में कहीं न कहीं प्रयोग में भी देखी होगी। आज वही कहावत उस समय देखने को मिली जब दिल्ली से कांग्रेस का टिकट लेकर संतोख सिंह चौधरी जालंधर रेलवे स्टेशन पहुंचे। वे पूरी तैयारी में थे कि उनका पार्टी कार्यकर्ताओं व समर्थकों द्वारा भव्य स्वागत होगा लेकिन यह क्या, गुटबाजी में स्वागत की परंपरा ही गुम हो गयी। चौधरी का आज स्वागत तो हुआ, लेकिन वह दमखम नहीं था जो होना चाहिए था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कांग्रेसी आलाकमान के फैसले को कार्यकर्ता नहीं मानते या फिर कार्यकर्ताओं की बात आलाकमान तक नहीं पहुंच पाती।
कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं का दबी जुबान में कहना है कि ये वास्तव में जालंधर के नहीं, फिल्लौर के सांसद बने रहे और उन्होंने धरातल पर काम के बजाय सोशल मीडिया पर ही जिले का विकास किया है। धरातल पर विकास के जो भी मौके इनको मिले, वो फिल्लौर की धरातल पर उतारने में मशगूल रहे। इससे हमारे शहर का विकास नहीं हो पाया। उनका यह भी कहना है कि अभी तो यह केवल सांकेतिक विरोध किया गया है। इसके बाद उनके खिलाफ पूरे लोकसभा क्षेत्र में विरोध किया जाएगा।