जालंधर(विनोद मरवाहा)
अखिल भारतीय दुर्गा सेना संगठन की ओर से प्राचीन शिव मंदिर दोमोरिया पुल में बगलामुखी यज्ञ करवाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री-श्री 108 स्वामी सिकंदर जी महाराज ने की। इस धार्मिक आयोजन में विशेष तौर पर गुरु माता नीरज रतन सिकंदर ने हाजिरी लगवाई। पंडित चक्र प्रसाद ने मंत्र उच्चारण किया और यजमानों से यज्ञ में आहुतियां डलवाई।
इस अवसर पर आशीर्वचन देते हुए कहा कि जीवन में संयम सबसे जरूरी है। संयम से ही जीवन खुशहाल होता है। आज मन अशांत रहने का सबसे बड़ा कारण संयम न होना है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होने से रिश्ते टूट जाते हैं। कभी-कभी खुद से समझौता करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गलती न होने पर भी गलती मानने वाला बड़ा होता है। जो झुकता है वो पाता है, अकड़ना तो मुर्दे की पहचान होती है। फलदार वृक्ष हमेशा झूका होता है। श्री स्वामी जी ने कहा कि मनुष्य को हमेशा अच्छे कर्म करने चाहिए। कभी भी फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। आज इंसान स्वार्थी हो चला है। वो जब मतलब हो तब ही संत, भगवान की शरण में जाता है। इंसान को चाहिए कि वो निस्वार्थ होकर संतों, भगवान की शरण में जाए।
उन्होंने कहा कि स्वार्थ पूर्ति के लिए अगर आप जाते हो तो आपके स्वार्थ की पूर्ति नहीं हो सकती है। सत्संग में आने से जीवन में फायदा नहीं होता है बल्कि संतों द्वारा सतसंग में जो बातें बताई जाती है। उन पर अमल करने से सत्संग में जाने का फायदा है।
इस अवसर पर इस अवसर पर संगठन के पंजाब प्रधान विशाल शर्मा, जालंधर प्रधान वैभव शर्मा,
सुभाष सोंधी, राजेश कक्कड़, छीना नागपाल, सपना राजपूत, सुनील मल्होत्रा, अंजलि मल्होत्रा, संदीप जैन, राहुल गुप्ता, श्रुति जैन व आभा गुप्ता (लुधियाना) लक्ष्मी शर्मा, रेनू मल्होत्रा, राकेश महाजन, लीना महाजन, अमित गुप्ता, शंकरदास, अनूप शर्मा, अश्विनी शर्मा, अमित मेहरा, इकबाल सिंह, अनिल शर्मा, विन्नी बोहरा, कपिल राजपूत, सुनीता शर्मा, राजनंदन त्रिपाठी, बब्बू शर्मा, मुकेश सहदेव, धीरज मेहता, राहुल शर्मा, नवीन जिंदल, बलदेव दास, पारस जैन, रघुनंदन शर्मा, लक्ष्मीनारायण, आर. के शर्मा, प्राण नाथ शर्मा, सुमन अग्रवाल, चमन शर्मा, अजय तिवारी, राजू भाटिया, संजीव मिंटू, धीरज पाहवा, रमेश कुंद्रा, सौरव चोपड़ा, अजय कोछड़, दिनेश शर्मा, जोगिन्दर गुप्ता, अशोक शर्मा, पुष्पिंदर शर्मा, रमेश शर्मा, विवेक बहल, कुसम गुप्ता, शिव भारद्वाज, रमन खत्री आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।