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जालंधर/विनोद मरवाहा
जालंधर उप चुनाव के बाद नगर निगम चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। इन चुनावों को लेकर वार्डबंदी का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है लेकिन अभी बीच में ही लटका हुआ है। जानकारों का कहना है कि उपचुनाव में आम आदमी पार्टी के सुशील रिंकू की जीत के बाद राजनैतिक समीकरण बदल गए हैं। बेबुनियाद आरोप तो यह भी लग रहे हैं कि जालंधर के मौजूदा आप विधायकों ने अपने चहेतों को लाभ देने के मुताबिक ही वार्डबंदी का यह ड्राफ्ट तैयार किया है।
कोई कुछ कहे या करे लेकिन एक बात साफ़ है कि वार्डबंदी ड्राफ्ट के साथ छेड़छाड़ आम आदमी पार्टी के लिए एक बड़ा नुकसान होगा क्योंकि पार्टी या संगठन में सबको खुश नहीं रखा जा सकता। जो पार्टी कार्यकर्त्ता पिछले लगभग 15 माह से अपने अपने वार्डों में पार्टी के हित में काम करते हुए पार्टी के साथ साथ हल्का विधायक को भी मजबूत कर रहे हैं, उन्हें भी नजरअंदाज करना आम आदमी पार्टी के लिए नुकसानदायक होगा।

कहा तो यह भी जा रहा है कि पार्षद बनने की चाह लेकर उपचुनावों के दौरान हाल ही में झाड़ू पकड़ने वाले कई पूर्व पार्षदों से लोग खुश नहीं है। ऐसे में यदि पार्टी की सीनियर लीडरशिप या कोई बड़ा नेता उप चुनाव के दौरान पार्टी में आने वालों की ख़ुशी के लिए वार्डबंदी के ड्राफ्ट से कोई भी छेड़छाड़ करता है तो कई टकसाली पार्टी कार्यकर्त्ता इस बात का विरोध करते हुए पार्टी को अलविदा भी कह सकते हैं।
अगर यह कहा जाए कि इन सभी समीकरणों के देखते हुए वार्डबंदी का नक्शा सार्वजानिक नहीं किया गया तो कोई भी हैरानी की बात नहीं होगी।

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