जालंधर/विनोद मरवाहा
लोकसभा 2024 के चुनावों को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की ओर से पंजाब प्रधान के पद पर नए प्रधान के तौर पर सुनील जाखड़ की नियुक्ति कर दी गई है। अब राज्य के सभी जिलों में भाजपा में संगठनात्मक बदलाव की आहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि सभी जिलाध्यक्षों की छुट्‌टी तय है। सभी जिलों में नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं।
ऐसे में महानगर जालंधर के भाजपा कार्यकर्ता यह नजर टिकाए हैं कि क्या अब टीम में जिले की मजबूती को जिलाध्यक्ष व कार्यकारिणी में नए चेहरे लाए जाएंगे या फिर से वही पुराने चेहरों को फिर से अहम पदों की बागडोर संभाल दी जाएगी। आरोप तो यह भी है कि जिले की राजनीति पर कुछ पुराने नेताओं के चहेते ही कब्जा किए हुए हैं और यह नेता पार्टी में किसी नए चेहरे को आगे लाना नहीं चाहते। इसी का नतीजा है कि जब जिले की नई कार्यकारिणी का गठन होना होता है तो पार्टी को नए चेहरे नहीं दिखते और फिर से वही पुराने चेहरे जिनको पब्लिक व पार्टी कार्यकर्त्ता पूरी तरह से रिजेक्ट कर चुके हैं, उन्हीं पर सफलता का दांव खेला जाता है।
जालंधर शहरी भाजपा टीम का अगर पिछले कुछ सालों का रिकॉर्ड देखा जाए तो संघ नेताओं के करीबी जिनका ग्राउंड में कोई बड़ा वोट बैंक तक नहीं है, उन्हें पार्टी की बागडोर थमा दी जाती है। बाद में फिर चाहे विधानसभा चुनाव हो या जालंधर लोकसभा उप चुनाव हो उसमें बड़ी सफलता अर्जित नहीं हो पाती। जिला जालंधर की घटिया कारगुजारी के चलते ही गत विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा था। कुछ एक नेताओं को छोड़ पार्टी की जिला कार्यकारिणी पूरी तरह से इन मौकों को भुनाने में फेल साबित सिद्ध हुई है।
पंजाब में भाजपा को मजबूत स्थिति में लाने के लिए इस समय जालंधर टीम में संगठन के लिए बेहतर काम करने वालों की जरूरत तो है ही लेकिन जिनका पब्लिक में आधार हो या अच्छा वोट बैंक को ऐसे लोगों पर दांव खेलने की जरूरत है । केवल जिला प्रधान ही नहीं बल्कि जिले की राजनीति में अहम रोल रखने वाले पदों पर भी इसी तरह के बदलाव की जरूरत है । नए चेहरों को मौका मिलना चाहिए और पार्टी के विस्तार को नए चेहरों की एंट्री भी बेहद जरूरी है । असल में इस वक्त पार्टी में बड़े विस्तार को नए नए चेहरे ढूंढ कर लाने की वर्किंग पर काम करना जरूरी है, क्योंकि आगामी नगर निगम चुनाव में भी ऐसे चेहरे जिले की राजनीति को एक मुकाम तक ले जा पाएंगे।
बेशक जालंधर शहरी के मौजूदा जिलाध्यक्ष सुशील शर्मा ने अपनी छुट्टी होते देख पार्टी कार्यकर्ताओं से उनके घरों में जाकर चाय पीने के बहाने संपर्क साधना शुरू कर दिया है लेकिन उनकी जगह किसी दूसरे नेता की ताजपोशी होना तय माना जा रहा है। सूत्रों की माने तो उनकी जगह पार्टी किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश में हैं जो प्रभावशाली होने के साथ हर वर्ग में मजबूत पकड़ रखता हो। दावेदारी एक दर्जन से अधिक पार्टी कार्यकर्ताओं ने कर रखी है लेकिन दौड़ में दो नेता सबसे आगे बताए जा रहे हैं लेकिन कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही अंतिम निर्णय लेगी।

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