जालंधर/विशाल कोहली
नेतागिरी रोग ऐसा, जिसको लगे जीवनभर दूर होना मुश्किल है। इसी साल होने जा रहे नगर निकाय चुनावों को लेकर हर कोई अपनी प्रतिभा बड़े नेताओं के सामने दिखाना चाहता है। मुहल्ले के नेता जिनकी नजर पार्षदी की कुर्सी पर है, सभी विधायकों से टिकट के आश्वासन पर ही प्रचार में लगे थे। चुनाव तो खत्म हो गया और अब सबकी निगाहें नगर निकाय चुनावों पर टिक गई हैं।
यही वजह है कि नगर निकाय चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वे लोगों के घरों पर दस्तक देने लगे हैं। सत्ताधारी आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले दावेदारों की संख्या सबसे अधिक है। पार्षदी के टिकट के दावेदार भावी विधायकों से हामी भराने में लगे हैं।
शहर में कई कार्यकर्ता तो ‘स्वयंभू’ प्रत्याशी बन गए हैं। शहर के ज्यादातर वार्डों में कई कार्यकर्ताओं ने अपने आपको सोशल मीडिया पर प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कोई बीस साल से जनता के सेवक के रूप में काम करने की बात कहकर सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल रहा है तो कोई बेटा बनकर वोट देने की अपील कर रहा है। पार्टी के नेताओं के फोटो भी अपनी पोस्ट के साथ अपलोड कर रहे हैं।
पार्टी सूत्रों की मानें तो निष्ठावान और जिताऊ कार्यकर्ताओं को ही मौका दिया जाएगा। सोशल मीडिया पर खुद को प्रत्याशी घोषित करने वाले नामों पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। जो आवेदन करेगा, उसमें से योग्य कार्यकर्ताओं को चर्चा कर पैनल तैयार किया जाएगा।

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