जालंधर(विनोद मरवाहा)
ट्रेन में वातानुकूलित कोच के सभी यात्रियों को कवर लगे कंबल मिलेंगे। पूर्वोत्तर रेलवे में इसकी शुरुआत हो चुकी है। प्रथम चरण में एसी फ‌र्स्ट कोचों में यह सुविधा शुरू हो गई है। द्वितीय चरण में एसी सेकेंड और थर्ड कोचों के कंबलों में भी कवर चढ़ाने की तैयारी चल रही है।
। फिलहाल यह सुविधा गिनती के कुछ लोगों को ही मिल रही है। एसी सेकेंड और एसी थर्ड के कंबलों में कवर लगते ही एसी में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों की व्यवस्था पूरी हो जाएगी। अधिकतर ट्रेनों में एसी सेकेंड और थर्ड के कोच ही लगते हैं।
हालांकि, रेलवे ने अब डिस्पोजल बेडरोल देने की तैयारी की है, लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही। लाख प्रयास के बाद भी गंदे बेडरोल की शिकायत कम होने का नाम नहीं ले रही। अधिकतर यात्री कंबल का प्रयोग ही नहीं करते।
30 दिन में एकबार होती है कंबलों की धुलाई
कंबलों की धुलाई 30 दिन में एकबार होती है। 15 दिन पर उसे बैक्टिरियामुक्त बनाने के लिए ‘ब्लैंकेट स्ट्रेलाइजेशन मशीन’ से स्ट्रेलाइज्ड किया जाता है। जबकि, इसका प्रयोग लगातार होता रहता है।
वहीं चादर और तौलिया आदि की धुलाई प्रत्येक प्रयोग के बाद होता है।

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