जालंधर(योगेश कत्याल)
जब तक हमारे हृदय में भगवान के लिए विशुद्ध प्रेम जागृत नहीं होगा, तब तक भगवान का दर्शन पाना असंभव है, विशुद्ध प्रेम की प्राप्ति के लिए ही हमें श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण और हरिनाम का जप करना चाहिए। यह उक्त विचार ग्रीन एवेन्यू कॉलोनी, बस्ती पीरदाद, श्रीगौरी शंकर मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चौथे दिन की कथा में स्वामी देवकीनंदन दास जी ने व्यक्त किए। उन्होंने सबको संबोधन करते हुए कहा कि हमारे कई जन्मों के पाप कर्मों से हमारा चित्त गन्दा हो चुका है, जिस कारण हम अपने वास्तविक स्वरुप को पहचान नहीं पा रहे। वास्तव में हम सब भगवान के दास हैं, सभी आत्माएं भगवान से आई हैं। भगवान ही हमारे एकमात्र पति है, इसलिए हमारे जीवन का परम और चरम लक्ष्य बन जाता है भगवान का प्रेम प्राप्त करना, उसी में वास्तविक सुख और शांति है। स्वामी जी ने विशुद्ध प्रेम के बारे में समझाते हुए कहा कि जैसा गोपियों का भगवान के प्रति विशुद्ध प्रेम था अर्थात जहां पर काम कि गंध तक नहीं है, हमारी दृष्टि काममय होने के कारण हम भगवान को भी वैसा ही समझ लेते हैं, परंतु जहां काम है वहां राम नहीं हैं, जहां राम आते हैं वहां से काम दूर चला जाता है। इसलिए प्रभु श्रीराम जी का चरित्र हमें यही शिक्षा देता है कि जब तक हमारा चरित्र अच्छा नहीं होगा, तब तक हम भगवान की लीला में प्रवेश नहीं कर सकते। भगवान का दर्शन काममय नेत्रों से नहीं, भक्तिमय नेत्रों से होता है। भक्तिमय नेत्र बनाने के लिए हमें शुद्ध भक्तों की संगत में जाना होगा और उनकेे मुखारविंद से भगवान की अमृतमयी कथा का श्रवण और कीर्तन करना होगा, तभी हमारा चित्त मार्जित होगा। चित्त के मार्जित होते ही चरित्र अच्छा बनेगा और चरित्र अच्छा बनने पर ही हमारी सोचने और देखने की दृष्टि बदलेगी। तब हम वास्तव में भगवान का प्रेम पाने के अधिकारी बनेंगे। इसलिए जीवन में सत्संग अत्यावश्यक है। जब भगवान अजामिल, गणिका इत्यादि को तार सकते हैं क्या हमें नहीं तार सकते। जब भगवान ध्रुव और प्रहलाद को दर्शन दे सकते हैं क्या हमें नहीं दे सकते, अवश्य दे सकते हैं, परंतु हमारे अंदर उनको पाने की तड़प हो, उनके प्रति प्रेम हो। महाराजश्री ने भगवान के वराह, कपिल, कूर्म, वामन, धनवंतरी इत्यादि अवतारों की लीलाओं को सुनाने के बाद भगवान श्रीराम के अवतार की लीला सुनाई। इसके बाद आज श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव मनाया गया। सुंदर झांकी का सबने दर्शन किया और नंद महोत्सव मनाया गया। सभी झूम झूम कर के नाचने लगे और सभी के मुख पर एक ही नाम था ‘ नंद के आनंद भयो , जय कन्हैया लाल की।

इस अवसर पर पंडित राजकुमार तिवारी, पंडित मनोज़ कुमार (शास्त्री), पंडित ध्रूव नारायण, मुकेश सहदेव, संजीव ठाकुर, नीना ठाकुर, राजेश अगिहिहोत्री, डॉ दविंदर शर्मा, शशि शर्मा, रवि शर्मा, चंद्र गुप्ता, मोनिका गुप्ता, केवल शर्मा, चेतन भल्ला, ममता गुजराल, पूजा भल्ला, सुषमा शर्मा, विपन कुंद्रा, तेज प्रकाश, राजेश कुमार, प्रॉमिला, मुनीश ठाकुर, वीरकांता गुप्ता, सौरव सेठ, पूर्व पार्षद क्रीपाल सिंह बूटी, तेज कुमार दुबे, सतपाल, कुलविंदर, शिव कुमार, चन्दर मोहन चोपड़ा, नीलू ठाकुर, डॉ जतिंदर शर्मा, कनिका शर्मा, शक्ति शर्मा, अनिल नागपाल, राहुल कुमार, ओम प्रकाश दुबे, राकेश दुबे, पवन, विवेक बब्बी, विनय शर्मा, सागर, राजन धीर, विजय शर्मा, केवल शर्मा आदि भग्तजन मौजूद थे।

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