चंडीगढ़/हलचल न्यूज़
सरकार की सिफारिश पर, मोहाली पुलिस ने स्कूल इतिहास की तीन किताबों के प्रकाशकों और लेखकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जिन्होंने कथित तौर पर सिखों की खराब छवि चित्रित की थी. इन किताबों में स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में तथ्यात्मक रूप से गलत जानकारी दी थी.
पिछले महीने डॉ मंजीत सिंह सोढ़ी की ‘एबीसी ऑफ हिस्ट्री ऑफ पंजाब’; डॉ महिंदरपाल कौर द्वारा ‘पंजाब का इतिहास’ और डॉ एमएस मान द्वारा ‘पंजाब का इतिहास’ तीन किताबों को पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड (पीएसईबी) द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया था. इन इतिहास की किताबों को जालंधर स्थित विभिन्न प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किया गया था और पीएसईबी के 12 वीं कक्षा के पाठ्यक्रम में निर्धारित किया गया था. किताबें एक दशक से अधिक समय से प्रचलन में थीं.
पीएसईबी कार्यालय के सामने लगातार धरना प्रदर्शन करने वाले सिख नेता बलदेव सिंह सिरसा की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. प्राथमिकी के अनुसार, मंजीत सिंह सोढ़ी, महिंदरपाल कौर, एमएस मान और कई ‘अज्ञात व्यक्तियों’ पर धारा 295-ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 153-ए (असहमति फैलाना), 504 (जानबूझकर किसी का अपमान करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश रचना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पीएसईबी की एक जांच रिपोर्ट के बाद राज्य सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करने की सिफारिश की थी. इससे पहले पीएसईबी ने उन अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने की घोषणा की थी जो उस समय मामलों के शीर्ष पर थे जब तीन विवादास्पद पुस्तकों को बोर्ड द्वारा अधिसूचित करने की अनुमति दी गई थी. गौरतलब है कि यह मामला पिछले ढाई महीने से चल रहा है. विपक्ष में रहते हुए आम आदमी पार्टी ने किताबों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. उस दौरान विधायक और अब अध्यक्ष कुलतार संधवान भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे.
पंजाब पब्लिशर्स एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार प्रकाशकों और लेखकों के पीछे जाकर गलत मिसाल कायम करने जा रही है. उन्हें पंजाब में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने का डर है. चंडीगढ़ के प्रकाशक और एसोसिएशन के पदाधिकारी हरीश जैन ने कहा कि इतिहास की किताबें लिखना एक श्रमसाध्य काम है. इसमें विश्वसनीय सामग्री और स्रोतों की कमी के साथ अन्य बाधाएं आती हैं. आपराधिक कार्रवाई केवल प्रकाशन उद्योग को कमजोर करेगी.