जालंधर/विनोद मरवाहा
चिंगारी कोई सुलग रही है, उठ रहा है राजनैतिक धुआं- धुआं।
है कौन हवा जो दे रहा, कभी वेस्ट में धुंआ, कभी सैंटर में धुआं ।
उपरोक्त पंकितयां वर्तमान में आम आदमी पार्टी के दामन बीच सुलग रही आरोपों की चिंगारी को एकदम सटीक परिभाषित कर रही हैं।
आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सुशील रिंकू को मिली बम्पर जीत के बाद उपचुनाव संपन्न हो गया है। इसके पहले जिला की सभी 9 विधानसभाओं में काफी राजनैतिक गहमागहमी रही लेकिन रिंकू की जीत के बाद आम आदमी पार्टी में एक दुसरे पर लगाए जा रहे आरोपों के चलते उठी चिंगारी अब धीरे -धीरे एक बहुत बड़े धमाके का रूप लेती नजर आ रही है। यही बस नहीं आम आदमी पार्टी में अंदरूनी लड़ाई की धमक शहर की लगभग सभी सड़कों व गलियों में सुनाई देने लगी है।अब हालात कुछ ज्यादा ही बिगड़ने के संकेत मिल रहे हैं।
आरोप तो यह भी है कि सुशील रिंकू के आम आदमी पार्टी में आने से लेकर चुनावी टिकट थमाने तक पार्टी के ही कुछ नेता बगावती तेवर अपनाये हुए थे। उन्होंने एक पार्टी से अलग कांग्रेस के एक पूर्व पार्षद के साथ मिल करअपना एक गुट खड़ा किया और रिंकू को चुनाव में हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। इस गुट को पूरी उम्मीद थी इस उनके द्वारा किया जा रहा प्रोपोगंडा रिंकू पर भारी पड़ेगा जबकि जनता ने भगवंत मान समेत सुशील रिंकू पेश किये गए मुफ्त ​बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार जैसे सकारात्मक मुद्दों को समर्थन दिया।
सोशल मीडिया पर इस तरह की अटकलों का बाजार भी गर्म है कि यह सारा मामला पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल व पार्टी की स्टेट लीडरशिप के ध्यान में है और साथ ही इस में तथाकथित सलिंप्त माननीयों पर कभी भी कार्रवाई होने की बात कही जा रही है।
इस सारे मामले को लेकर राजनैतिक पंडितों का खरा सा जवाब है कि राजनीति के समुंद्र में जब कोई प्रभावशाली मछली छोटी मछलियों को खाकर बड़ा आकार पा लेती है तो वह भी अपने आप को मगरमच्छ समझने का भ्रम पाल लेती है। परन्तु इसी भ्रमवश उठाये गये कदम अपने आप को मगरमच्छ समझने वालों के लिए कई बार आत्मघाती सिद्ध होते हैं। आने वाले समय में अब देखना यह है कि कितनी मछलियों का मगरमच्छ बनने का सपना उन्हे ले बैठता है ।
खैर बात कुछ भी हो, आम आदमी पार्टी में सुलगी इस आग धुआं जगह जगह बादलों का रूप धारण किये हुए गर्जना के स्वर उत्पन्न कर रहा है, जो कभी भी किसी पार्टी नेता पर बरस सकता है। पार्टी कार्यकर्त्ता भी चाहते हैं कि यदि इस पूरे प्रकरण में रत्ती भर भी सच्चाई है तो आरोपियों पर तत्काल बनती कार्रवाई की जाए।
अगर यह भड़की चिंगारी को ना रोक गया तो इससे आम आदमी पार्टी में एक ऐसा राजनैतिक युद्ध शुरू होगा जो बरसों तक शांत होने का नाम नहीं लेगा और इसका नकारत्मक असर आगामी नगर निगम चुनावों में देखने को मिलेगा।

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