नई दिल्ली(हलचल नेटवर्क)
अब आधारकार्ड दिखाने या देने के लिए कोई भी बैंक या कंपनी किसी भी ग्राहक या उपभोक्ता को मजबूर नहीं कर सकती.मोदी कैबिनेट ने आधार और अन्य कानून (संशोधन) विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी है. इसका अर्थ यह है कि कानूनी सहमति के अलावा अन्य किसी भी मामले में आधार देना अनिवार्य नहीं होगा. सरकार की गवर्नमेंट सब्सिडी आम लोगों तक आसानी से पहुंचाने के लिए आधार कार्ड की मदद लेने की योजना रही है. कैबिनेट के इस निर्णय के बाद यूआईडीएआई को आधार डाटा सुरक्षित करने और उसके गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए पहले से बेहतर सिस्टम मिलेगा.
इस नियम के बाद अब किसी को भी अपनी पहचान बताने के लिए आधार नंबर या आधार कार्ड देने की जरूरत नहीं है, जब तक कानूनी तौर पर यह जरूरी न हो. आम जनता की सुविधा के मद्देनजर बैंक खाता खोलने के लिए आधार नंबर या आधार कार्ड की कॉपी को स्वैच्छिक करने की जानकारी सामने आ रही है. इससे पहले सितंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला देकर साफ कर दिया था कि आधार कार्ड कहां देना जरूरी है और कहां नहीं. कोर्ट ने कहा था कि इसे संवैधानिक रूप से वैध तो माना जायेगा, लेकिन हर किसी से शेयर करना जरूरी नहीं है.
मोदी कैबिनेट के फैसले के बाद अब आधार कार्ड की अनिवार्यता निम्न पर खत्म कर दी गयी हैः
1- मोबाइल सिम के लिए कंपनी आपसे आधार नहीं मांग सकती.
2- अकाउंट खोलने के लिए बैंक भी आधार नंबर की मांग नहीं कर सकते हैं.
3- स्कूल ऐडमिशन के वक्त बच्चे का आधार नंबर नहीं मांग सकते.
4- सीबीएसई, नीट और यूजीसी की परीक्षाओं के लिए भी आधार जरूरी नहीं.
5- 14 साल से कम के बच्चों के पास आधार नहीं होने पर उसे केंद्र और राज्य सरकारों की जरूरी सेवाओं से वंचित नही किया जा सकता है.
6- टेलिकॉम कंपनियां, ई-कॉमर्स फर्म, प्राइवेट बैंक और अन्य इस तरह के संस्थान आधार कार्ड की मांग नहीं कर सकते हैं.

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