जालंधर(विशाल कोहली)
यह मान के चलना ज़रूरी है की इस साल होने वाले लोकसभा इलेक्शन में अभी तक पंजाब भाजपा बैकफुट पर ही नज़र आ रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष व भाजपा के हिस्से वाली मात्र तीन सीटों के संभावित उम्मीदवारों को इस बात का अंदेशा हो गया है की, इस बार 2014 वाली लहर नहीं दिखेगी।
यही कारण है कि आम चुनाव की रण भेरी बजने के साथ ही जहां उम्मीदवारों ने चुनाव जीतने के लिए जोर लगाना शुरू कर दिया है, वहीं पार्टी के तथाकथित रूठे नेताओं को मनाने की कवायद भी शुरू हो गई है। जिसको लेकर ऐन आम चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले ही भाजपा की तरफ से थोक के भाव में कार्यकर्ताओं को रेलवे बोर्ड भारत सरकार के सदस्य के पद से नवाजा गया है। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि पार्टी के संभावित उम्मीदवारों को भितरघात का डर भी सता रहा है। इसके लिए कई उम्मीदवार अब समय रहते ही डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं।
पंजाब भाजपा की राजनीति पर नजर रखने वाले विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे में वक्त ही बताएगा कि भाजपा को इन नियुक्तियों से कितना फायदा मिल पाएगा।

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