जालंधर(विशाल कोहली)

संगठन में कभी इनकी काफी पूछ थी। यहां से वहां घूमते रहते थे। सब इन्हें ‘छोटा साहब’ बोलते थे। कई अपने तो इन्हें प्यार से रामू भी बुलाया करते थे। पार्टी कार्यकर्ताओं को बिना मतलब के कई आदेश देना तो इनकी रोज की दिनचर्या में शामिल था। सरकारी सर्किट हाउस से तो इन्हें अपने घर से भी अधिक प्यार था और वह आज भी है। लेकिन एकदम बड़े साहब के पदमुक्त होते ही छोटा साहब बुरी तरह फंस गए हैं। उन्हें अपनी कुर्सी जाने का डर दिन रात सताने लगा। फिर क्या था अपनी कुर्सी बचाने की खातिर बिना कोई भी देरी किये पासा पलट दुसरे खेमे में पहुँच कर मौजूदा बड़े नेताओं की चापलूसी करने के साथ साथ सभी के तलवे चाटने लगे। उनकी राजनीति में बने रहने की लालसा को देख कर उनके अपने ही पुराने साथी आज कई सवाल कर रहे हैं। ऐसे में छोटे साहब के लिए दो नावों पर पैर रखकर चलने जैसा खतरा हो गया है। जिससे ‘छोटा साहब’ दिक्कत में पड़ने लगे हैं। पिछले काफी समय से होशियारपुर में सरकारी ठेके लेकर काफी चांदी कूट चुके इन साहिब को लगता है कि आनेवाले दिनों में काफी कुछ बदलेगा। अगर इन ठेकों पर मौजूदा बड़े साहब की नजर में कहीं टेढ़ी हो गई, तो साढ़े साती लगने का भी खतरा है। इसलिए सभी सलाह दे रहे हैं कि अभी संगठन के मौजूदा नेताओं के तलवे चाटते हुए कंबल ओढ़कर घी पीने में ही फायदा है। ज्यादा दिखाने से प्रॉब्लम हो सकती है। ऐसे में आनेवाले दिनों में छोटे साहब का अपने घर में ही टाइम पास करने का विचार हो सकता है।

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