जालंधर(विशाल कोहली)
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने पंजाब सरकार द्वारा विधानसभा में सी.ए.ए. के खिलाफ प्रस्ताव पास करने को राज्य के असली मुद्दों से भटकाना बताया है। ऐसा करके राज्य की कैप्टन सरकार ना सिर्फ युवाओं को गलत दिशा दिखा रही है, बल्कि राज्य में केंद्र सरकार के खिलाफ झूठी लहर पैदा करने की कोशिश कर रही है। एबीवीपी के प्रदेश सोशल मीडिया संयोजकअर्जुन त्रेहन ने कहा कि मौजूदा कैप्टन सरकार ने साल 2018 में राज्य में शिक्षण-सीखने की प्रक्रिया को आसान और अधिक प्रभावी बनाने के लिए 2800 सरकारी-संचालित प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को स्मार्ट स्कूलों में बदलने का फैसला लिया था। इसमें स्मार्ट स्कूल एक हजार प्राथमिक और 1800 माध्यमिक स्कूल शामिल थे। इस के साथ ही यह संस्थान केंद्र और राज्य के संयुक्त धन से 64 करोड़ रुपये के खर्च से लैपटॉप, मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर और हाई-स्पीड इंटरनेट से लैस होने ‌थे। इसी तरह 1000 प्राथमिक स्कूलों में से प्रत्येक में दो कक्षाओं को स्मार्ट कक्षाओं में परिवर्तित करने के लिए 50 हजार रुपये स्वीकृत किए गए। 1800 वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालयों को शिक्षण में प्रौद्योगिकी के एकीकरण के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को और अधिक संवादात्मक बनाने और शिक्षण प्रक्रिया में रचनात्मक सोच को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक संस्थान को 3 लाख रुपये मिलने दिए जाने थे। त्रेहन ने राज्य सरकार को उनके उक्त प्रोजेक्ट को याद दिलाते हुए कहा कि दो साल पूरे होने के हैं, लेकिन यह प्रोजेक्ट जमीनी हकीकत में तबदील नहीं हो पाया है। जबकि तरनतारन, श्री मुख्तसर साहिब, लुधियाना व राज्य के अन्य कई शहरों में सरकारी स्कूलों की आगे से भी हालत खस्ता हो गई है। पंजाब में कांग्रेस राज में छात्रों को प्रदान की जाने वाली बुनियादी सुविधाओं की स्थिति अधिक खराब है। इस के विपरीत जो देश हित में कानून बनाया लाया गया है उसके विरोध में विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर राज्य के विद्यार्थियों की आँखों में धूल झोंकने का काम करते हुए उन्हें भटका रही है। इस के साथ ही त्रेहन ने राज्य के वामपंधी संगठनों को निशाने पर लेते हुए कहा कि वह गहरी नींद में चले गए हैं। आम तौर पर बात-बात पर सड़कों पर उतरने वाले यह संगठन कैप्टन सरकार के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं रखते।
घोषणा करने से जिम्मेदारी नहीं खत्म होती, उसे लागू करना भी जरूरी है
अर्जुन त्रेहन ने कहा कि विद्यार्थियों को किसी लाभ पहुंचाने के लिए सिर्फ घोषणा करने से ही जिम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती, बल्कि उसे लागू कर ही असली जिम्मेदारी पूरी होती है। उन्होंने कहा कि सोचने की बात है कि अगर स्थिति यही रही तो आने वाले समय में राज्य की शिक्षा व्यवस्था में सुधार आने की बजाए गिरावट आएगी। उन्होंने पंजाब सरकार से अपील करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के साथ राजनीति ना कर उनके हित के लिए कार्य करे।

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