लुधियाना(राजन मेहरा)
डायबिटिज-फ्री-वर्ल्ड के अनुसार, उन्होंने शुक्रवार शाम को सराभा नगर स्थित “औफीसरस्-कल्ब” में पी.एस.पी.सी.एल के “रिटायर्ड औफीसरस् ऐसोसिऐशन” के मैंबरों को “मधुमेह” विष्य पर सँबोधित किया। इस अवसर पर सभी मैंबरस् की ब्लड-गलुकोज टैस्ट की गई। डायबिटिज्-फ्री-वर्ल्ड वलँटियर्स् मि अमनप्रीत सिँह, मि सन्नी शर्मा ने इस 276वें कैंप में अपनी फ्री सेवायें प्रदान कीं।
ऐसोसिऐशन प्रमुख श्री बी डी रत्न, श्री ऐस के गुप्ता व अन्य पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ देकर, डॉ सुरेंद्र गुप्ता का अभिवादन किया। उन्होनें डा गुप्ता द्वारा मधुमेह-विरुद्ध शुरु किये अभियान के लिये उनको साधूवाद दिया व उनके “मधुमेहरहित समाज का सपना” पूर्ण होने की शुभकामनाएं दीं।
डा गुप्ता ने कहा कि बेहतर चिकित्सा सुविधाओं व रहन सहन में हुऐ, साकारात्मक बदलाव के चलते भारत में व्यक्तिक-आयु में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। जिसके कारण भारत में 65-75 साल आयु वर्ग के सीनीयर सिटिजनस् की गिनती में अभूतपूर्व वृद्धि दरज् की गई है। इसका सीधा मतलब है कि हमें इस बढती वृद्ध-पौपूलेशन के लिये, उनमें व्याप्त मधुमेह/हार्ट-फेल्यर/हार्ट-अटैक/स्ट्रोक वगैरा बिमारियों व सेहत सँभाल के लिये हस्पतालों का निर्माण करना पडेगा। याने हमें समय रहते अभी से ही देश में मधुमेह-बचाव-अभियान चलाना पडेगा ताकि हमारा भविष्य का समाज पूर्णतया-स्वस्थ हो।
साथ ही डॉ सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि किस तरह विश्व डायबिटीस फैड्रेशन की ओर से जारी की गई “मधुमेह एटलस” में, भारत के लिए गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। जिसके अनुसार सन 2045 तक भारत, चीन को पीछे छोड़ कर दुनिया में सबसे ज्यादा मधुमेह रोगियों वाला देश बन जाएगा। जबकि आज 114 मिली मधुमेह रोगीयों के साथ चीन पहले नंबर और भारत 73 मिलीयन के साथ दूसरे नंबर पर है। इसलिए हमें चाहिए कि अभी से ही हमें भारत में मधुमेह के प्रसार को रोकने के त्वरित उपाय करना होगा।
मधुमेह के लक्षणों पर बोलते हुऐ डा गुप्ता ने बताया कि बार-बार प्यास लगना भूख लगना या पेशाब की हरकत या या वजन कम होना या दृष्टि में कमी आने जैसे, लक्षण होने पर मधुमेह की जाँच करवाना चाहिये। किँतु हमने याद रखना चाहिये कि लक्षण दिखने तक इन्सुलिन बनाने वाले बीटा सैल 75%तक नष्ट हो चुके होते हैं और पूरा जीवन दवाओं व इन्सुलिन के टीकों से ही निकालना पडता है।
इसलिये खाली पेट 100मिलीग्राम%, व खाने के बाद 140मिलीग्राम% से ज्यादा ब्लड-गलुकोज होने पर तरुँत ही सुगम-आयुर्वेद आधारित डाईट-चार्ट के मुताबिक कम शर्करा/वसा व हाई फाईबर डाईट के साथ साथ, 45मिनट या 5किमी पैदल सैर, साईकलिँग या योगाभ्यास, या आऊटडोर-स्पोर्टस् शुरु कर देना चाहिये। इस तरह ईसुलिन सैंस्टिविटी का आह्वाण होता है और स्फूर्ती के सँचार के साथ साथ, ब्लड-गलुकोज लैवल भी सामान्य हो जाता है। सदैव प्रसन्नचित, सँतुष्टिभाव व खुश रहने से ही कितनी बिमारियाँ दूर रहती हैं।