जालंधर(योगेश कत्याल)
श्री चैतन्य गौड़ीय मठ, श्रीधाम मायापुर से पधारे त्रिदंडी स्वामी 108 श्री भक्ति पारंगत सन्यासी महाराज जी अनुगत में श्री चैतन्य महाप्रभु राधा माधव मंदिर प्रताप बाग से कार्तिक मास के उपलक्ष्य में चल रही प्रभातफेरीओं की श्रंखला के अंतिम दिन (उत्थान एकादशी) अथवा श्री श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज की आविर्भाव अतिथि के उपलक्ष में प्रातः 6:00 से 8:00 बजे तक प्रभातफेरी अथवा 9:00 से दोपहर 12:00 बजे तक व्यास पूजा का आयोजन मंदिर प्रांगण में किया गया। शाम 7:30 से 10:00 बजे तक हरिनाम संकीर्तन अथवा हरि कथा का आयोजन किया गया। जिसका शुभारंभ पुजारी हरिप्रसाद, अमित चड्ढा, कुलदीप मेहता, राजन शर्मा , सनी दुआ, यँकील कोली द्वारा पंचतत्व महामंत्र, वैष्णव वंदना, याम अथवा हरिनाम संकीर्तन द्वारा आरंभ किया गया।
श्री भक्ति पारंगत सन्यासी महाराज जी ने अपनी कथा में कहा कि श्री चैतन्य महाप्रभु की धारा में दसवें आचार्य परमहंस परिव्राजक ॐ विष्णुपाद 108 श्री श्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज विष्णुपाद, अखिल भारतीय श्री चैतन्य गौड़ीय मठ के संस्थापक थे। वे शुक्रवार,18 नवंबर,1904, उत्थान एकादशी, सुबह 8:00 बजे, पूर्वी बंगाल के कांचनपाड़ा ग्राम में प्रकट हुए। वे कभी भी किसी भी परिस्थिति में झूठ नहीं बोलते थे। वह अपने दोस्तों और साथियों को सत्य के नैतिक मूल्य और झूठ कहने की अनुचितता के बारे में समझते थे। उन्होंने वर्ष 1953 में श्री चैतन्य गौड़ीय मठ संस्थान की स्थापना की और भारत के विभिन्न भागों में कई बड़े प्रचार केंद्र स्थापित किए। मंगलवार 27 फरवरी 1979 को प्रातः 9 बजे, हरिनाम संकीर्तन के मध्य श्रील माधव गोस्वामी महाराज ने, अपने शिष्यों और गुरुभाइयों को दुःख के सागर में छोड़ते हुए, राधाकृष्ण की नित्य लीला (पूर्वाह्न लीला के समय) में प्रवेश किया।