जालंधर(विनोद मरवाहा)
आज के इस भौतिकवादी युग में स्वार्थ इस कदर हममें घर कर गया है कि हम अपने हाथों ही अपने अहित की ओर तेज गति से अग्रसर हो रहे हैं जबकि भारतीय संस्कृति में परोपकार को पुण्य की संज्ञा दी गई है और परपीड़नम अर्थात दूसरों को पीड़ा देने को पाप बतलाया गया है।
यह आशीर्वचनअखिल भारतीय दुर्गा सेना के संस्थापक व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री श्री 108 स्वामी सिकंदर जी महाराज ने प्राचीन शिव मंदिर, नजदीक दोमोरिया पुल में आयोजित मां बगलामुखी साप्ताहिक हवन यज्ञ को अल्प विश्राम देते हुए कहे। इस अवसर पर गुरु माँ नीरज रतन सिकंदर जी भी विशेष तौर पर उपस्थित थीं।
श्री स्वामी जी ने उपस्थित साधकों को कहा कि जीवन में आपसी मतभेद होते रहते हैं लेकिन आपसी मनभेद नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि झाड़ू जब तक एक सूत्र में बंधी होती है, तब तक कचरा साफ करती है। जब खुलकर बिखर जाती है तो स्वयं कचरा हो जाती है।
श्री स्वामी जी ने कहा कि जहां तक जीवन में हो सके दूसरों का उपकार करें। यदि आप में किसी का भला करने का साहस नहीं है तो आपको यह अधिकार भी नहीं कि आप दूसरों का बुरा करें। यह बात अच्छी तरह से समझ लेनी चाहिए कि दूसरों का बुरा सोचने वाला और करने वाला स्वयं अपना ही अहित करता है।
इस अवसर पर संगठन के पंजाब प्रधान विशाल शर्मा, जालंधर प्रधान वैभव शर्मा, बलजीत कौर, लक्ष्मी शर्मा, पूजा शर्मा, राकेश महाजन, मोहित जैन, आयुष यादव, अश्वनी यादव, मनसा राम, लीना महाजन, कुमारी ममता, अनिल शर्मा, केवल कृष्ण, सौरव कपूर, राजू शर्मा, सुरजीत लूथर, शंकर दास, दुष्यंत वोहरा, अमित गुप्ता, मोनिका शर्मा, विनय शर्मा, कमल मल्होत्रा, संदीप लक्की, अशोक थापर, जतिंदर सिंह, निरंजन दास, रछपाल सिंह, संदीप जैन, श्रुति जैन, राजू शाम चौरासी, अश्वनी वर्मा, लक्ष्मी वोहरा, वीना वोहरा, बलजीत सिंह, गुरमुख सिंह, मनमोहन, रेणु मल्होत्रा, राजन खन्ना, कृष्ण बब्बर, मुकेश सहदेव, मनु चोपड़ा,हरीश सिंगला, नारायण दास, विजय सोनी, मुकेश लूथर, पंकज सिक्का, दीपक सेठ आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।

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